ह्यूरिस्टिक विधि (Heuristic Method) : गुण (Merits) , सीमाएं और कठिनाइयों (Limitations and Problems) अनुप्रयोग (Application)

ह्यूरिस्टिक विधि (Heuristic Method):

यह बालकेन्द्रित शिक्षण विधि है, इसमें विद्यार्थी एक खोज कर्त्ता होता है, वह स्वयं खोज करके, निरीक्षण और प्रयोग करता है और सीखता है। इसमें शिक्षक ऐसी गतिविधियों को सम्मिलित करता है, जिसमें विद्यार्थी स्वतंत्र रहकर कार्य करता है, और सीखता है। ड्यूरिस्टिक शब्द ग्रीक भाषा से आया है जिसका अर्थ होता है खोज करना'। इसमें विद्यार्थी स्वयं खोज करने के लिए उत्साहित होता है।

इस विधि में कक्षा के समक्ष कोई समस्या प्रस्तुत की जाती है जिसमें प्रत्येक विद्यार्थी की जिम्मेदारी होती है विभिन्न स्त्रोतों से सूचनाएँ एकत्रित करके समस्या को जानना। उसको स्वतंत्रता होती है कि वे कक्षा में इधर-उधर जाकर अपने साथियों से समस्या पर चर्चा कर सकते हैं। प्रत्येक विद्यार्थी को समस्या से सम्बन्धित एक कागज पर निर्देश लिखकर दिए जाते हैं। इसमें विद्यार्थी शिक्षक से बहुत कम दिशा-निर्देश प्राप्त करते हैं, जबकि शिक्षक सदैव सहायता करने के लिए तत्पर रहता है। इसमें विद्यार्थी के निरीक्षण, प्रयोग व पढ़ने की क्षमताओं का विकास होता है। वे सीखते हैं कि समस्या को कहाँ से हल करना चाहिए। तथा ऑकड़ों का संकलन, ऑकड़ों को अर्थ प्रदान कर, समस्या का समाधान ज्ञात करते हुए निष्कर्ष तक पहुँचते हैं। 

इस शिक्षण विधि में शिक्षक की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है, उनमें से कुछ इस प्रकार है-

1. शिक्षक को ज्ञान का भण्डार होना आवश्यक है ताकि वह विद्यार्थियों को सन्दर्भ इत्यादि उपलब्ध करा सकें।

2. शिक्षक एक निर्देशक, कार्य में सहयोगी एवं विद्यार्थी का मित्र होता है, विद्यार्थी के गलत करने पर भी वह गुस्सा नहीं होता है।

3. शिक्षक को कक्षा में कार्य करने के लिए स्वतंत्र वातावरण विकसित करना होता है।

4. शिक्षक को विद्यार्थी की उम्र, क्षमता और रूचि के आधार पर समस्या का चयन करना होता है।


ह्यूरिस्टिक विधि के गुण (Merits of Heutistic Method) -


1. इस शिक्षण विधि से बालकों में वैज्ञानिक और एक समालोचक दृष्टिकोण विकसित होता है।

2. विद्यार्थी आत्मनिर्भर बनकर स्वयं में आत्मविश्वास विकसित करता है। इनका विकास स्वयं गतिविधि करने से होता है।

3. इसमें शिक्षक प्रत्येक विद्यार्थी पर ध्यान दे सकता है और उनमें आपस में अधिक घनिष्ठता बढ़ती है।

4. जो तथ्य, सम्प्रत्यय वह करके सीखता है उनका स्मरण अधिक समय के लिए होता है।

5. विद्यार्थी को वैज्ञानिक विधि का ज्ञान हो जाता है, जिससे वे जीवन को व्यवस्थित रूप से जीने की कला सीख जाते हैं।

6. इसमें विद्यार्थी सम्पूर्ण कार्य विद्यालय में करता है, इसीलिए गृह कार्य करने की समस्या नहीं रहती।

7. यह शिक्षण विधि मनोवैज्ञानिक और शिक्षा के अधिगम सिद्धांतों पर आधारित है।


सीमाएं और कठिनाइयों (Limitations and Problems)-


1. हयूरिस्टिक शिक्षण विधि में विद्यार्थी को खोजकर्ता माना जाता है, परन्तु विद्यालय में विद्यार्थियों में ज्ञान विस्तार और चिंतन सीमित होती है, इसीलिए उनसे एक खोजकर्ता की तरह सभी कार्य वह स्वयं करे यह अपेक्षा संभव नहीं हो पाती है।

2. शिक्षण विधि बहुत धीमी गति से चलती है, अतः भारी भरकम पाठ्यचर्या को समय पर पूर्ण करने में असमर्थता होती है।

3. इस शिक्षण विधि पर विशेषज्ञ शिक्षक और प्रतिभाशाली विद्यार्थी ही कार्य कर सकते हैं। इस विधि पर आधारित विशेषज्ञों का मिलना मुश्किल होता है।

4. यह आर्थिक रूप से खर्चीली होती है, इसमें सुसज्जित प्रयोगशाला की आवश्यकता होती है।

5. इस शिक्षण विधि में कक्षा में बहुत छोटे समूह की कल्पना की गई, जो हमारे विद्यालयों में असम्भव है।

6. किसी भी समस्या को ग्रेड या स्तर पर हल करना मुश्किल होता है, इसके लिए बहुत कौशल की आवश्यकता होती है।


अनुप्रयोग (Application) -


1. यह शिक्षण विधि प्राथमिक स्तर की कक्षाओं के लिए उपयुक्त नहीं है, पर माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक कक्षाओं के लिए ठीक है, क्योंकि इन स्तर के विद्यार्थियों में बोध का स्तर ठीक होता है।

2. इस शिक्षण विधि की सफलता का श्रेय शिक्षक को जाता है जो बहुत सक्रिय, ज्ञाता, बुद्धिमान और शिक्षण विधि का विशेषज्ञ हो।

3. इस विधि में प्रयोगशाला पूर्ण रूप से सुसज्जित होनी आवश्यक है।

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