गीत नया गाता हूँ ( Geet Naya Gaata hu ) - अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध कविता

गीत नया गाता हूँ ( Geet Naya Gaata hu ) - अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध कविता

शीर्षक: गीत नया गाता हूँ ( Geet naya gaata hu ) - अटल बिहारी वाजपेयी Atal bihari vajpayee की प्रसिद्ध कविता Poem| आशा और प्रेरण

विवरण: अटल बिहारी वाजपेयी की प्रसिद्ध कविता "गीत नया गाता हूँ" पढ़िए। यह कविता निराशा से आशा की ओर ले जाती है और जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने की प्रेरणा देती है।

कविता:

टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर,

पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर,

झरे सब पीले पात, कोयल की कूक रात,

प्राची में अरुणिमा की रेख देख पाता हूँ।

गीत नया गाता हूँ।

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी?

अंतर को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी।

हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा,

काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ।

गीत नया गाता हूँ।

गिरिजा के गौरव का गाकर भग्न कहानी,

थर-थर काँपी जवानी, सुनी हमने यह जानी।

युग के सिंहासन पर अपनी जय के सपने,

अवरोधों की शृंखला हम न कभी गिनते हैं।

गीत नया गाता हूँ।

बाधाएँ क्या पथ रोकेंगी, क्या विपदाएँ भयभीत करेंगी?

क्या आँधियाँ रोकेंगी, क्या ज्वालाएँ भयभीत करेंगी?

निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा,

कदम मिलाकर चलना होगा।

गीत नया गाता हूँ।

कविता का भावार्थ:

अटल बिहारी वाजपेयी की यह कविता निराशा से आशा की ओर ले जाती है। यह हमें सिखाती है कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।

 * नई शुरुआत: कविता में टूटे हुए तारों से बासंती स्वर फूटने और पत्थर की छाती में नव अंकुर उगने का जिक्र है, जो नई शुरुआत और उम्मीद का प्रतीक है।

 * हार न मानना: वाजपेयी जी ने इसमें हार न मानने और काल के कपाल पर लिखने-मिटाने की बात कही है, जो जीवन में संघर्ष करते रहने की प्रेरणा देता है।

 * बाधाओं से न डरना: कविता में बाधाओं और विपदाओं से न डरने और हंसते-हंसते आग में जलने की बात कही गई है, जो चुनौतियों का सामना करने का साहस देता है।

 * एक साथ चलना: कदम मिलाकर चलने की बात एकता और सहयोग का महत्व बताती है।

यह कविता हमें जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखने और हमेशा आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती है।



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