कविता : न मैं चुप हूँ न गाता हूँ , Na me chup hu Na gata hu अटल बिहारी वाजपेयी Atal Bihari Vajpayee Poem
यह कविता अटल बिहारी वाजपेयी जी द्वारा लिखी गई है। इस कविता में, कवि ने जीवन में आने वाली अनिश्चितताओं और आंतरिक द्वंद्वों का वर्णन किया है। उन्होंने एक ऐसे समय का चित्रण किया है जब आशा और निराशा, गति और जड़ता, सुख और दुख एक साथ मौजूद हैं।
सवेरा है मगर पूरब दिशा में घिर रहे बादल,
रूई से धुँधलके में मील के पत्थर पड़े घायल।
ठिठके पाँव,
ओझल गाँव,
जड़ता है न गतिमयता,
स्वयं को दूसरों की दृष्टि से मैं देख पाता हूँ।
न मैं चुप हूँ न गाता हूँ,
समय की सर्द साँसों ने चिनारों को झुलस डाला।
मगर हिमपात को देती चुनौती एक द्रुममाला,
बिखरे नीड़,
विहँसी चीड़,
आँसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर अकेला गुनगुनाता हूँ,
न मैं चुप हूँ
न गाता हूँ।
भावार्थ :
कविता का भावार्थ इस प्रकार है:
* सवेरा है मगर पूरब दिशा में घिर रहे बादल, रूई से धुँधलके में मील के पत्थर पड़े घायल: इन पंक्तियों में, कवि ने एक ऐसे समय का वर्णन किया है जब आशा की किरणें तो दिखाई दे रही हैं, लेकिन निराशा के बादल भी मंडरा रहे हैं। उन्होंने धुंधले वातावरण में घायल मील के पत्थरों का उल्लेख किया है, जो जीवन के संघर्षों और चुनौतियों का प्रतीक हैं।
* ठिठके पाँव, ओझल गाँव, जड़ता है न गतिमयता, स्वयं को दूसरों की दृष्टि से मैं देख पाता हूँ, न मैं चुप हूँ न गाता हूँ: इन पंक्तियों में, कवि ने अपने आंतरिक द्वंद्वों और अनिश्चितताओं का वर्णन किया है। वे न तो पूरी तरह से स्थिर हैं और न ही पूरी तरह से गतिशील। वे स्वयं को दूसरों की दृष्टि से देखने का प्रयास कर रहे हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ हैं।
* समय की सर्द साँसों ने चिनारों को झुलस डाला, मगर हिमपात को देती चुनौती एक द्रुममाला, बिखरे नीड़, विहँसी चीड़, आँसू हैं न मुस्कानें, हिमानी झील के तट पर अकेला गुनगुनाता हूँ, न मैं चुप हूँ न गाता हूँ: इन पंक्तियों में, कवि ने जीवन की कठोर वास्तविकताओं और आशा की छोटी-छोटी किरणों का वर्णन किया है। उन्होंने समय की मार से झुलसे हुए चिनारों का उल्लेख किया है, लेकिन साथ ही हिमपात को चुनौती देने वाली चीड़ के पेड़ों की दृढ़ता का भी वर्णन किया है। वे हिमानी झील के तट पर अकेले गुनगुनाते हुए अपनी भावनाओं को व्यक्त कर रहे हैं, लेकिन वे अभी भी अपने आंतरिक द्वंद्वों से जूझ रहे हैं।
कविता का संदेश यह है कि जीवन अनिश्चितताओं और द्वंद्वों से भरा है, लेकिन हमें हमेशा आशा और दृढ़ता के साथ आगे बढ़ते रहना चाहिए। हमें अपनी आंतरिक शक्ति को पहचानना चाहिए और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास करना चाहिए।
👇
15 अटल बिहारी वाजपेयी Atal Bihari Vajpayee की कविताएं जरूर पढ़े