मौत से ठन गई ( maut se than gyi )- अटल बिहारी वाजपाई Atal bihari vajpayee कविता poem

मौत से ठन गई ( maut se than gyi )- अटल बिहारी वाजपाई Atal bihari vajpayee कविता poem

भावार्थ - मौत से ठन गई ( maut se than gyi )- अटल बिहारी वाजपाई Atal bihari vajpayee कविता poem

यह कविता जीवन के प्रति अटल जी के अदम्य साहस और सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह मृत्यु के भय पर विजय और जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने की प्रेरणा देती है।

मौत से ठन गई!

जूझने का मेरा इरादा न था,

मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,

यों लगा ज़िंदगी से बड़ी हो गई

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,

ज़िंदगी-सिलसिला, आज-कल की नहीं

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,

लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,

सामने वार कर फिर मुझे आज़मा

मौत से बेख़बर, ज़िंदगी का सफ़र,

शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर

बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,

दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,

न अपनों से बाक़ी है कोई गिला

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किए,

आँधियों में जलाए हैं बुझते दिए

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,

नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,

देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई,

मौत से ठन गई।

भावार्थ:

यह कविता जीवन के प्रति अटल जी के अदम्य साहस और सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह मृत्यु के भय पर विजय और जीवन की चुनौतियों का डटकर सामना करने की प्रेरणा देती है।

कवि कहते हैं कि उनका मृत्यु से लड़ने का कोई इरादा नहीं था, न ही उन्होंने कभी सोचा था कि वे उससे इस तरह मिलेंगे। लेकिन जब मृत्यु उनके सामने आई, तो उन्हें लगा कि वह जीवन से भी बड़ी है।

कवि मृत्यु को क्षणभंगुर बताते हुए कहते हैं कि जीवन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। वे अपने जीवन से संतुष्ट हैं और मृत्यु से डरते नहीं हैं। वे कहते हैं कि वे फिर से लौटकर आएँगे।

कवि मृत्यु को चुनौती देते हुए कहते हैं कि वह छिपकर या धोखे से न आए, बल्कि सामने से वार करे। वे जीवन के सफर को बिना किसी डर के जीने की बात करते हैं, जहाँ हर शाम सुंदर और रात संगीत से भरी हो।

कवि यह भी स्वीकार करते हैं कि उनके जीवन में दुख और दर्द थे, लेकिन उन्हें अपनों और परायों से बहुत प्यार मिला। वे हर चुनौती का सामना करते हुए आगे बढ़े और विपरीत परिस्थितियों में भी उम्मीद की लौ जलाए रखी।

आज भले ही तूफ़ान तेज़ हो और उनकी नाव भँवरों में फँसी हो, लेकिन उनका हौसला अटूट है। वे तूफ़ान के तेवर देखकर और भी दृढ़ हो जाते हैं, और मृत्यु से ठन जाती है।

यह कविता हमें सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी मुश्किलें आएँ, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें साहस और आत्मविश्वास के साथ हर चुनौती का सामना करना चाहिए।


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